Friday 16 August 2013

महिलाओं की समानता और अधिकारिता से संबंधित कानून

आज की उदारीकृत परिस्थितियों में महिलाएं भारतीय श्रम शक्ति का अभिन्‍न हिस्‍सा बन चुकी हैं। ऐसे माहौल में, महिला के रोजगार का स्‍तर बहुत महत्‍व रखता है और यह अनेक कारकों पर निर्भर करता है। इनमें सर्व प्रथम कौशल विकास के लिए शिक्षा एवं अन्‍य अवसरों का समान रूप से उपलब्‍ध होना है। इसके लिए महिलाओं की अधिकारिता के साथ-साथ उनके बीच उनके कानूनी अधिकारों और कर्त्तव्‍यों के बारे में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। यह सुनिश्चित करने के‍ लिए भारत सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं।

यह ऐसे कई कार्यक्रम चला रही है जिनका उद्देश्‍य महिलाओं को शिक्षा एवं व्‍यावसायिक प्रशिक्षण की सुविधा देना है। इनमें सबसे महत्‍वपूर्ण है श्रम मंत्रालय में रोजगार और प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीई एण्‍ड टी)के अंतर्गत शुरू किया गया 'महिला व्‍यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम'। इस कार्यक्रम में कौशल प्रशिक्षण सुविधाओं में उनकी सहभागिता को बढ़ाकर उद्योग जगत (मुख्‍यतया संगठित क्षेत्र) में महिलाओं को अर्ध कुशल, कुशल और अति कुशल कामगारों के रूप में बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। इस कार्यक्रम में, डीजीई एण्‍ड टी मुख्‍यालय में एक अलग --महिला प्रशिक्षण स्‍कंध'' स्‍थापित किया गया है जो देश में महिलाओं को व्‍यावसायिक प्रशिक्षण देने से संबंधित दीर्घावधिक नीतियां तैयार करने एवं उनका पालन करने के लिए जिम्‍मेदार है। साथ ही इस कार्यक्रम के एक भाग के रूप में, केन्‍द्रीय क्षेत्र में, देश भर के विभिन्‍न भागों में एक राष्‍ट्रीय और दस क्षेत्रीय व्‍यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान स्‍थापित किए गए हैं। जबकि राज्‍य क्षेत्र में, राज्‍य सरकारों के प्रशासनिक नियंत्रण मे विशिष्‍ट 'महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थान (डब्‍ल्‍यूआईटीआई)' को नेटवर्क स्‍थापित किया गया है। ये संस्‍थान महिलाओं को बुनियादी कौशल प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।

साथ ही सरकार महिला कामगारों के लिए काम का अनुकूल माहौल बनाने के भी प्रयास कर रही है। इस प्रयोजनार्थ, मंत्रालय में महिला श्रमिकों के लिए एक अलग सेल स्थापित किया गया है जो कामकाजी महिलाओं की स्थितियों पर ध्‍यान केन्द्रित करेगा और उनमें सुधार लाएगा। इस सेल के कार्य निम्‍नलिखित हैं :-
  • राष्‍ट्रीय जनशक्ति और आर्थिक नीतियों के ढांचे के भीतर महिला श्रम शक्ति के लिए नीतियों एवं कार्यक्रमों को तैयार करना एवं समन्‍वय करना।
  • महिला कामगारों के संबंध में कार्यक्रमों के कारगर कार्यान्‍वयन
  • समान वेतन अधिनियम, 1976 के कार्यान्‍वयन की निगरानी करना।
  • समान वेतन अधिनियम, 1976 के तहत एक सलाहकार समिति की स्‍थापना करना।
  • महिला कामगारों के लिए कार्योन्‍मुखी परियोजनाओं को तैयार करने एवं कार्यान्वित करने के लिए गैर सरकारी संगठनों/स्‍वैच्छिक संगठनों को सहायता अनुदान देना।
इसके अलावा, महिलाओं की समानता और अधिकारिता के लिए अधिनियमित विभिन्‍न कानूनों में अनेक संरक्षणात्‍मक उपबंध शामिल किए गए हैं, जिनके उचित प्रवर्तन से महिला कामगारों के लिए एक समर्थकारी माहौल निर्मित होगा।

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