Monday 5 August 2013

सिर्फ शिक्षित होना काफी नहीं, हमें बुद्धिजीवी भी होना पड़ेगा

आज  हमारे देश में  चारों तरफ हर व्यक्ति को शिक्षित करने की  जो लहर चल रही है।  वह वास्तव में काबिले तारीफ है। सरकार और  समाज ने भी हर बच्चे को शिक्षा देने के लिए कई योजनायें बनाई है। इस प्रयास से बहूत लॊग शिक्षा प्राप्त भी कर रहें है। परन्तु  ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस प्रकार के किताबी ज्ञान से हम सिर्फ शिक्षित बनते है, बुद्धिजीवी  नहीं।

शिक्षा को एक नए रूप में सामने लाना होगा। ज्ञान ऐसा हो जो डिग्री - डिप्लोमा  लेने के साथ साथ हमारी सोच , व्यवहार को भी प्रशस्त करे, हमारे आचार और विचार सराहनीय बने।  जीवन में दोहरे मापदंड न हों। जो हम अपने लिए चाहते है, वही सबके लिए चाहें। हमे दकियानूसी विचारों को संशोधित कर नए विचारों के साथ आत्म सात करने की आवश्यकता है, ताकि नए विचारों का भी स्थान सुनिश्चित हो सके।

शिक्षा ऐसी हो जो हमें संस्कारी, अनुसाशित और संयत से परिपूर्ण बनाये क्योंकि जीवन सिर्फ धन- दौलत  से सुंदर नहीं बनता । जब संस्कारों की सम्पति आती है, तभी वह सुंदर बनता है। शिक्षा के विकाश के साथ आर्थिक, चारित्रिक, सामाजिक विकाश का सही समावेश आवश्यक है।  तभी सही मायनों में हम शिक्षित के साथ बुद्धिजीवी बन पाएंगे।  

जय हिन्द

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