Monday 14 October 2013

संपूर्ण स्वराज का मूलमन्त्र


महात्मा गाँधी ने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन का नेतृत्त्व किया था और सम्पूर्ण विश्व जगत में उन्होंने  अहिंसा के दर्शन का प्रचार किया इसके फलस्वरूप संयुक्त रास्त्र संघ द्वारा २००७ से २ अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है, इसलिए महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि सम्पूर्ण विश्व अहिंसा दिवस की महत्ता को समझ रहा है ।

गाँधी जी के अनुसार कोई भी देश तभी खुशहाल  और तरक्की कर सकता है जब वो आर्थिक रूप से मजबूत हो , और ये मजबूती तभी आ सकती है जब उस देश के हर नागरिक के पास रोजगार के अवसर हों | लघु उद्योग अथवा  कुटीर उद्योग किसी भी देश की बुनियाद होती है स्वदेशी आंदोलन ब्रितानी शासन को उखाड़ फेंकने और भारत की समग्र आर्थिक व्यवस्था के विकास के लिए अपनाया गया साधन था। गांधी जी ने इसे स्वराज की आत्मा कहा था। आजादी के समय जब देश की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी, तब देश के नेताओं ने स्वदेशी का नारा दिया था। उनका स्पष्ट उद्देश्य देश के छोटे-बड़े उद्यमियों व व्यापारियों को बढ़ावा देना था, आज हम गाँधी जी के सपने खादी ग्रामोद्योग को लगभग भूलते ही जा रहे हैं ।

परन्तु जरूरत है, उस दिव्य स्वपन को साकार करने की, यदि आज  सम्पूर्ण भारतवर्ष में ५० प्रतिसत्त लोगों ने खादी निर्मित वस्तुवों का प्रयोग करना सुरु कर दिया तो शायद बापू का स्वपन साकार हो जायेगा और सम्पूर्ण देश में रोजगार का संकट अपने आप ही खत्म हो जायेगा तथा स्वराज स्वयं ही आ जायेगा जरूरत है- तो एक सुरुवात की, हमे लगता है आजकल काफी तकनीकी विकाश खादी में हो गए है कपड़े अच्छे डिज़ाइनर तथा आरामदायक भी हैं क्योंकि हमने तो खादी कपड़ो को अपनाया है।  जरूरत है तो बस सुरुवात करने की वो भी अपने आप से स्वयं से और इंतजार नहीं आज से ।

एक सविनय अनुरोध है, आप सभी से और  मुझे पूर्ण उम्मीद है, आप सब को पता होगा की २अक्टूबर से ३० परसेंट की छूट मुख्यतया सभी खादी दुकानों पर उपलब्ध होगी । अगर आपने इस समय का सदुपयॊग किया तो जाने अनजाने में आप भारत देश के उन लोगों को सहयोग दे रहें है जो गाँधी जी के सपने को साकार करने में लगे हैं और उन्हें उम्मीद है की आज नहीं कल स्वराज कायम होगा ।
जय हिन्द
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/seemagoel/entry/khadi-empowerment-in-india

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