डेंगू का बढ़ता कहर एक महामारी का संकेत है और इसके बीच डर का सौदा करने वाले अपने व्यक्तिगत क्षणिक लाभ के लिए मानवता को ताक पे रखकर जिस प्रकार से प्राकृतिक उत्पादों का व्यवसायीकरण कर रहे है यह हमारी सभ्यता संस्कृति के विपरीत है, मिडिया के माध्यम से जो खबर संज्ञान में आयी वो ह्रदय को द्रवित कर देने वाली है। [ नारियल पानी ६० से १०० रुपया एक नग , पपीते के पत्ते २०० रूपये , बकरी का दूध १२०० रूपये ] यह सुनकर के ह्रदय तृण विदृण हो जाता है कि मानवता का तनिक भी ध्यान हमारे बंधू बांधवों में नहीं है जो डर का व्यवसाय करने पर उतारू हो गए है।
आज गणपति बप्पा का आगमन हुआ है और विघ्नहर्ता, विघ्नविनाशक गणपति ऐसे विवेकशून्य लोगों को सद्बुद्धि प्रदान करें, हर एक के दैनिक जीवन में व्यवसाय जरूरी है लेकिन जहाँ पर मानवता की बात आती है वहां पर व्यवसाय नगण्य हो जाना चाहिए और मानवता प्रबल हो जाती है ऐसा हमने अपने देश में हमेशा देखा है या वो नेपाल त्रासदी रही हो या भुज का भूकम्प या उत्तराखंड की त्रासदी , सबने बढ़ चढ़ के सहयोग किया है , आज दिल्ली के हमारे भाई बंधु, सगे सम्बधी अगर डेंगू की महामारी से जूझ रहे है तो हम सबका यह कर्तब्य बनता है कि बिना किसी स्वार्थ भाव से मानवता की रक्षा हेतु हम अपना सहयोग प्रदान करे ।
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/seemagoel/entry/dengue-in-delhi1
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