
एक समाज सेविका होने के साथ साथ मैं एक गृहिणी भी हूँ और मेरा मानना है कि इसकी सुरुवात घर से ही होनी चहिये क्योंकी परिवार ही समाज की प्राथमिक कड़ी है । अगर हम अपने बच्चों को बचपन से ही इसके लिए जागरूक करें तो मुहीम आसान हो जायेगी। हमारे प्रधानमंत्री ने मुहीम सुरु करते समय जो कहा था उसको हमें आत्मसात करने की जरूरत है।
- सफाई सामाजिक दायित्व होना चाहिए।
- सफाई सवा सौ करोड़ देशवासियों का काम है।
- आप सभी जानते है विदेशों में सफाई का रहस्य वहां की जनता के अनुशासन का परिणाम है।
- अगर हम लोग भी खुद को अनुशासित रखकर स्वच्छता के मामले में दुनिया के प्रमुख देशों में भारत को शामिल करा सकते हैं।
- आज भी देश की 60 फीसदी से अधिक आबादी खुले में शौच करने को विवश है। मां-बहनों के शौच के लिए भी उपयुक्त साधन उपलब्ध नहीं हैं। स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय नहीं हैं। हमें मां बहनों के लिए शौचालय न उपलब्ध करा पाने का कलंक मिटाना है।
- गंदगी के कारण होने वाली बीमारियों से भारत में लोगों की रोजी रोटी छिन जाती है और देश में प्रत्येक नागरिक को औसतन 6500 रुपये का अतिरिक्त नुकसान उठाना पड़ता है। अगर इस औसत से अमीरों की आबादी निकाल दी जाए तो गरीबों के नुकसान का यह औसत 12000 रुपए पहुंच जाएगा।
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