यह तो समय चक्र है इसमें हर चीज एक दूसरे के साथ आती जाती है| अभी अभी हम सबने जन्माष्टमी का महापर्व मनाया । महापर्व इसलिए क्योंकि , श्री कृष्ण भगवान के जन्म के बाद पहली बार यह योग बना है। अर्थात् पूरे 5241 वर्षोँ बाद। रात्रि 12 बजकर 12 मिनट का दिन, नक्षत्र ,घड़ी, लगन,मुहूर्त्त, योग आदि विशेष सभी उसी समान है। जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था । रात्रि 12 बजकर 12 मिनट का दिन, नक्षत्र , घड़ी ,लगन, मुहूर्त्त, योग आदि विशेष सभी उसी समान था । जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। उस समय चन्द्रमा वृष राशि मेँ उच्च लग्न मेँ स्थित था , सूर्य सिँह राशि मेँ स्थित था , नक्षत्र भी रोहिणी थी, भाद्रपद कृष्ण अष्टमी और दिन भी बुधवार था , काल सर्प योग भी था ।
अर्थात् ऐसे योग भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद पहली बार बने हैँ।
अर्थात् ऐसे योग भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद पहली बार बने हैँ।
ये सब देख कर मन उत्साहित हुआ क्योंकि इतिहास गवाह है । जब- कंस और रावण आएंगे भगवान किसी न किसी रूप में हमारे सामने जरूर आयेंगे चाहे श्रीराम के रूप में या श्रीकृष्ण रूप में ।
तो क्या इस होनी को एक दिव्य संकेत माने ! हमे ऐसा लगता है - अवश्य ही कुछ अच्छा होने वाला है| क्योंकि जब कंस था , तभी भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। और अब तमाम तरीके के समस्याएं कंस की तरह समाज में जो फैली है संभवतः इंनके खात्मे का समय आ गया है।
जय श्री कृष्ण
श्री हरिः श्री हरिः श्री हरिः
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारि । हे नाथ नारायण वासुदेवा।
माता श्री लक्ष्मी भगवती परमेश्वरी । हे मात् नारायणी योगमाया॥
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